सुप्रीम कोर्ट ने अवैध वनों की कटाई और फ्लोटिंग टिम्बर से जुड़े गंभीर मामलों पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश सरकारों और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को नोटिस जारी किया है। अदालत ने इन सभी पक्षों से 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सूत्रों के अनुसार, हिमालयी राज्यों में तेजी से बढ़ रही अवैध लकड़ी कटाई और नदी में लकड़ी के फ्लोटिंग ट्रांसपोर्ट के मामलों ने पर्यावरण और स्थानीय पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन गतिविधियों के कारण जंगलों और नदी पारिस्थितिकी पर पड़ रहे प्रभाव का विस्तृत अध्ययन करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा कि अवैध कटाई और फ्लोटिंग टिम्बर को रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाए जाएँ। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह स्पष्ट करने को कहा कि इन गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी राज्यों में वन क्षेत्र की कटाई और नदी में लकड़ी का अवैध परिवहन न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाओं को भी बढ़ाता है। पर्यावरणविदों ने इस कदम की सराहना की है और इसे स्थायी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण बताया है।