वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में घोषणा की कि आगामी जीएसटी सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग ₹2 लाख करोड़ का संचार होगा, जिससे उपभोक्ताओं के पास अधिक नकद उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि यह कदम घरेलू खपत को बढ़ावा देगा और आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करेगा।
22 सितंबर से लागू होने वाले इन सुधारों के तहत, जीएसटी की चार स्लैबों (5%, 12%, 18%, और 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) में समाहित किया जाएगा। इससे 12% स्लैब के 99% और 28% स्लैब के 90% वस्त्रों और सेवाओं पर कर दर में कमी आएगी। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर पहले 18% कर लगता था, जिसे अब 0% कर दिया गया है।
वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले की उच्च कर दरें राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि जीएसटी परिषद की सामूहिक सहमति से निर्धारित की गई थीं। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से गरीबों और मध्यवर्गीय परिवारों को विशेष लाभ होगा, जिससे उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि होगी।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इन सुधारों से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।