बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है क्योंकि राज्य सरकार ने 1990 में किए गए भूमि अधिग्रहण के बावजूद एक ग्रामीण को अब तक मुआवज़ा नहीं दिया। यह मामला नासिक जिले के एक बुजुर्ग किसान से जुड़ा है, जिसकी ज़मीन सरकार ने तीन दशक पहले अधिग्रहित की थी, लेकिन उसे अब तक एक रुपया भी नहीं मिला।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने राज्य सरकार के रवैये को “अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य” करार दिया। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि जब सरकार लोगों की ज़मीन अधिग्रहित करती है, तो उसे समय पर उचित मुआवज़ा देना उसका संवैधानिक कर्तव्य है। कोर्ट ने इस मामले को नागरिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।
अदालत ने सरकार को तत्काल प्रभाव से मुआवज़े की पूरी राशि ब्याज सहित देने का आदेश दिया, साथ ही यह भी चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा सामने आए, तो सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस निर्णय ने न केवल प्रभावित किसान को न्याय दिलाया है, बल्कि भविष्य में सरकार को ज़मीन अधिग्रहण मामलों में अधिक सतर्क रहने का संदेश भी दिया है।