भारत-चीन की बढ़ती नज़दीकियां: ट्रंप की चुप्पी वाला वो किरदार जिसे वे कभी गर्व से नहीं बताएंगे

नया कूटनीतिक परिदृश्य उभर रहा है क्योंकि भारत और चीन एक बार फिर संवाद की राह पर बढ़ रहे हैं। हाल ही में संपन्न SCO विदेश मंत्रियों की बैठक में श्री एस जयशंकर और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई ऐतिहासिक हैण्डशेक ने तनावग्रस्त लहजे को सहयोग की ओर मोड़ दिया है । हालांकि गलवान घाटी जैसी घटनाओं की याद अभी तक ताजा है, फिर भी दोनों देशों ने सीमाओं पर बेलगाम गतिरोध को हटाने का संकेत दिया है।

भारत–चीन संबंधों की गति का अतिरिक्त कारण अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की नीतियों की अनिश्चितता भी है। ट्रम्प प्रशासन की अप्रत्याशित व्यापार नीति और टैरिफ उपायों ने भारत को चीन के साथ संतुलन स्थापित करने पर विवश कर दिया है । दोनों देशों ने हाल के समय में LAC पर गश्त की व्यवस्था पर समझौता किया है, प्रत्यक्ष उड़ानों को शुरू किया और काइलाश मानसरोवर यात्रा पुनः शुरू की ।

सीमावर्ती दलों द्वारा किए गए समझौते सीमांकन और तनाव को कम करने का संकेत देते हैं, परंतु गहरी अविश्वास अभी भी बनी हुई है। आर्थिक मोर्चे पर दोनों देशों का आपसी निर्भरता बढ़ रहा है, लेकिन भारत कुछ चिन्हित चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध भी जारी रखे हुए है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह ‘सावधानीपूर्ण और यथार्थवादी माहौल’ भारत के लिए रणनीतिक विकल्पों को मजबूत करेगा, जहां वह अमेरिका की अनिश्चितता और चीन के सहयोग के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। सीमा संकट पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन सीमित आर्थिक और कूटनीतिक रूप से संबंध धीरे-धीरे सुधरते नज़र आ रहे हैं।

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