भारत और चीन ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 2005 में हुए समझौते को फिर से बातचीत का आधार बनाने की सहमति जताई है, जो राजनीतिक दृष्टिकोण के तहत सीमा समाधान की नींव रखता था। यह निर्णय आज विशेष प्रतिनिधि स्तरीय वार्ता के 24वें दौर में लिया गया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी शामिल थे।
दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और विवाद का उचित, न्यायपूर्ण एवं पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने की प्रतिबद्धता दोहराई। वार्ता के दौरान तीन अलग-अलग कार्यसमूह गठित करने पर भी सहमति बनी, जो सीमा का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करेंगे।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने सीमा प्रबंधन में विश्वास-निर्माण उपायों को लागू करने, हवाई संपर्क, व्यापार मार्गों (जैसे Lipulekh Pass, Nathu La), ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा में अधिक तीर्थयात्रियों को शामिल करने जैसे मुद्दों पर भी आगे बढ़ने की सहमति दी।
इस पहल से यह संकेत मिलता है कि भारत-चीन विवाद को हल करने में दोनों पक्ष सकारात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की आशा जग रही है।