भारत ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जैविक प्रयोग करने की योजना बनाई है, जो मानव जीवन की अंतरिक्ष में स्थिरता का अध्ययन करेगा। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की BioE3 जैव प्रौद्योगिकी नीति के तहत की जा रही है।
इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) संयुक्त रूप से कार्य करेंगे। ISS के AXIOM-4 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी शामिल होंगे।
पहला प्रयोग माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष विकिरण के प्रभावों का अध्ययन करेगा, जिसमें खाद्य उत्पादन के लिए उपयुक्त माइक्रोएल्गी की वृद्धि का विश्लेषण किया जाएगा। दूसरा प्रयोग स्पाइरुलिना और साइनोबैक्टीरिया की वृद्धि और उनके प्रोटीन प्रतिक्रियाओं का परीक्षण करेगा, ताकि अंतरिक्ष में मानव जीवन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पुनःचक्रण प्रक्रिया को समझा जा सके।
यह मिशन ISRO, NASA और DBT के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, और इससे भारत की जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।