भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा पर तेजी से निर्भर हो रहा है, जिसने 2024 में 209 गीगावाट से अधिक की क्षमता हासिल की है। यह वृद्धि ग्रिड के संतुलन के लिए चुनौती पेश करती है, खासकर जब सौर ऊर्जा का उत्पादन दिन के दौरान चरम पर होता है और शाम को गिर जाता है।
इस समस्या से निपटने के लिए, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब देश के कुछ कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) का परीक्षण किया जाएगा। यह प्रणाली दिन के समय उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त सौर ऊर्जा को स्टोर करेगी और शाम को या मांग के चरम समय में ग्रिड में वापस आपूर्ति करेगी।
यह पहल भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। यह न केवल ग्रिड को स्थिरता देगी, बल्कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को भी कम करेगी। यह कदम भारत के 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति भारत को एक स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा भविष्य की ओर ले जाएगी।