मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा इंडसइंड बैंक में ₹2,000 करोड़ की लेखा चूक की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि बैंक के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने बैंक की पुस्तकों में “समायोजन” करने की बात स्वीकार की है। सूत्रों के अनुसार, बैंक के पूर्व CFO गोविंद जैन, उप-CEO अरुण खुराना और CEO सुमंत कथपालिया के बयान दर्ज किए गए हैं। खासकर अरुण खुराना को मामले में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माना जा रहा है, क्योंकि वे समायोजन के बारे में जानते थे और उनकी भूमिका को “महत्वपूर्ण” माना जा रहा है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस लेखा चूक से लाभ उठाया हो सकता है। समायोजन के कारण बैंक के शेयर मूल्य में वृद्धि हुई, जिससे अंदरूनी लोगों को विशेष जानकारी का लाभ मिला और उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
पूर्व CFO गोविंद जैन ने पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि बैंक की ट्रेजरी संचालन में ₹2,000 करोड़ से अधिक की अनियमितताएँ हो रही थीं। उन्होंने इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की थी।