विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रम्प द्वारा भारत के रूसी तेल आयात पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को लेकर कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर भारत से कभी पूर्व में कोई चर्चा नहीं हुई थी। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भारत की नीतियाँ उसकी प्राथमिकताएँ तय करती हैं और यदि किसी को यह पसंद नहीं आता, तो “अगर आपको पसंद नहीं है, तो खरीदें मत” का संदेश भी दिया।
जयशंकर ने यह बयान उस समय दिया जब अमेरिका ने रूसी तेल साधनों पर भारतीय व्यापारियों पर कुल 50% तक के शुल्क लगाए – प्रारंभ में 25% प्रतिशोधात्मक टैरिफ, बाद में 25% अतिरिक्त भार के रूप में। उन्होंने इस कदम को नई दिशा में अनौपचारिक बाहरी हस्तक्षेप करार दिया।
उन्होंने यह भी बतलाया कि भारत केवल ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने हेतु यह कदम उठा रहा है। साथ ही यह कहते हुए अमेरिका की कटाक्षपूर्ण स्थिति पर सवाल उठाए कि पूर्व में अमेरिका ने अच्छे संकेत देकर भारत से यह कदम उठाने के लिए कहा था।
जयशंकर ने यह दोहराया कि भारत की ऊर्जा रणनीति और व्यापारिक निर्णय पूर्णत: उसके राष्ट्रीय हितों द्वारा निर्देशित हैं, जिसमें किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा सर्वोपरि है।