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जानें, कैसे की जाती है बिटकॉइन की माइनिंग

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बिटकॉइन की माइनिंग
बिटकॉइन की माइनिंग

बिटकॉइन आज की तारीख की सबसे महंगी करेंसी कही जाती है। क्रिप्टोग्राफी की मदद से इसकी माइनिंग की जाती है। बिटकॉइन की माइनिंग सीमित होती है


नए बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है। यह कंपटिटिव और डिसेंट्रलाइज्ड प्रोसेस के तहत जनरेट किया जाता है। बिटकॉइन प्रोटोकॉल के मुताबिक सीमित मात्रा में ही इनकी माइनिंग की जा सकती है। बिटकॉइन बनाने की प्रक्रिया एक कंपटिटिव बिजनस है।

जैसे-जैसे माइनर्स की संख्या बढ़ती है बिटकॉइन से मुनाफा कमाना कठिन होता जाता है। किसी भी अथॉरिटी के पास कोई पॉवर नहीं होता कि वह बिटकॉइन से मुनाफे को बढ़ाने के लिए सिस्टम को कंट्रोल कर सके।

सीमित होती है बिटकॉइन की माइनिंग
दुनिया का कोई भी बिटकॉइन नोड नियमों के खिलाफ किसी भी तरह की प्रक्रिया को खारिज कर देता है। इसका निर्माण डिक्रीजिंग और प्रीडिक्टिबल रेट पर किया जाता है। इसकी माइनिंग फिक्स है। कुल 21 मिलियन बिटकॉइन्स ही माइन किए जा सकते हैं और फिलहाल तकरीबन 16 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं।

कैसे होती है माइनिंग?
बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है। क्रिप्टोग्राफी के तहत इसकी माइनिंग की जाती है। इसमें ब्लॉक चेन एक पब्लिक लेजर शेयर करता है जहां सभी बिटकॉइन नेटवर्क्स होते हैं। सभी कन्फर्म्ड ट्रांजैक्शन्स ब्लॉक चेन में शामिल होते हैं। यह बिटकॉइन वॉलेट को खर्च किए जाने लायक बैलेंस को कैलकुलेट करने की इजाजत देते हैं ताकि नए ट्रांजैक्शन्स को वैरीफाइ किया जा सके।

इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि खर्च करने वाला ही इसका ओनर है। ये सभी चीजें क्रिप्टोग्राफी से नियंत्रित की जाती हैं।

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