मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शैक्षणिक विभाग में पिछले एक वर्ष में सरकारी नौकरी पाने के लिए नकली दस्तावेजों का उपयोग किया गया। पाँच आरोपियों ने तथाकथित “अनुकंपा नियुक्ति” के लिए माता-पिता की मृत घोषित करायी गई फर्जी कागजात प्रस्तुत किए, जबकि वे अभी जीवित थे। इस कार्रवाई से नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता और सत्यापन प्रणाली की गंभीर खामियां उजागर हुईं।
इसी बीच जबलपुर स्थित एक अदालत ने सेंटरल ऑर्डिनेंस डिपो में कार्यरत PL चौधरी और रितेश गुप्ता के खिलाफ नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाए जाने पर गिरफ्तार करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया। रिटायर्ड सेना कर्मी ने अपने बेटे को रेलवे में नौकरी दिलाने के लिए ₹4 लाख, और बाद में BHEL में ₹10 लाख एडवांस देने का दावा किया। शिकायतकर्ता ने ₹9 लाख चुकाए और उसको नकली नियुक्ति पत्र और ₹3.5 लाख की गारंटी चेक भी दिए गए। पुलिस ने धोखाधड़ी का प्राथमिकी दर्ज कर ली है, और अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी ।
ये घटनाएं मध्य प्रदेश में नौकरी घोटालों की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती हैं, जहाँ सरकारी भर्ती में प्रतिभा से अधिक भ्रष्ट तरीकों की प्रधानता सामने आ रही है।