मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: दोषियों की बरी होने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची महाराष्ट्र सरकार, मांगी दोबारा सुनवाई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया, जिन्होंने दशकों से सजा काटी थी। अदालत ने कहा कि “अभিযোগ पक्ष पूरी तरह विफल रहा”, अभियुक्तों के कबूलियों, गवाहों की विश्वसनीयता, और तकनीकी-प्रक्रियात्मक गड़बड़ियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था।

इस historic फैसले को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस निर्णय को “बहुत ही चौंकाने वाला” बताते हुए कहा कि सरकार इसका शीघ्र सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी । वित्त मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और खाद्य मंत्री छगन भुजबळ ने भी इस मामले की बारीकी से समीक्षा के निर्देश दिए हैं ।

सांप्रदायिक और राजनीतिक हलकों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। बीजेपी, कांग्रेस, शिवसेना और NCP के नेताओं ने जांच की कमजोरियों, सबूतों की कमी और साक्ष्य प्रस्तुत करने के तरीके पर सवाल उठाए। खासकर क़रीब 189 लोगों की जान लेने वाले इस हमले में दोषियों को दंड से मुक्त होने का निर्णय सार्वजनिक आक्रोश का कारण बना।

अब सुप्रीम कोर्ट 25 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र सरकार की यह विशेष अनुमति याचिका (SLP) सुनने के लिए सहमत हो चुका है। अगर याचिका स्वीकार होती है, तो यह मामले को पुनः न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया में खींच सकती है, जिससे पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद बनी रहती है।

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