उत्तराखंड में बाघ तेंदुओं से ज्यादा आक्रामक: नए आंकड़ों ने खोली वन्यजीवों की खौफनाक हकीकत

उत्तराखंड में ताज़ा वन्यजीव डेटा से सामने आया है कि बाघ की तुलना में तेंदुए ज़्यादा आक्रामक नहीं, बल्कि बाघ ही स्थानीय आबादी के लिए सबसे ख़तरा बने हुए हैं। वन विभाग और शोध संस्थाओं के आकलन से यह स्पष्ट हुआ है कि हालिया वर्षों में बाघों द्वारा हुए हमलों की संख्या तेंदुओं से अधिक है ।

2023 में राज्य में कुल 43 मानव–जीव संघर्ष में मौतें हुईं, जिनमें 22 लोग बाघों और 21 लोग तेंदुओं से प्रभावित हुए थे । इसी बीच, रुद्रप्रयाग में जंगल में तेंदुए ने दो महिलाओं पर हमला किया, लेकिन शुक्रवार को वन विभाग ने इसे निशाना बनाकर मार गिराया। यह घटना बाघों की तुलना में तेंदुओं पर नहीं, बल्कि स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर आक्रमक स्तर पर प्रकाश डालती है ।

वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघों की बढ़ती आबादी — सहायक जंगलों से बाहर निकलकर बसने, और प्राकृतिक आवासों में कमी — इन्हें लोगों के निकट ला रहा है । 2022 में उत्तराखंड में बाघों की संख्या लगभग 560 थी — 2018 के मुकाबले एक उल्लेखनीय वृद्धि ।

अगले कई वर्षों में मानव–बाघ टकराव बढ़ने की संभावना है। वन विभाग ने त्वरित प्रतिक्रिया टीमें, ड्रोन्स, कैमरा ट्रैप्स, और जागरूकता अभियान शुरू किए हैं। इन सब प्रयासों का उद्देश्य बाघों के हमलों को रोकना, लोगों को सुरक्षित रखना और वन्यजीवों के संरक्षण के बीच संतुलन बनाये रखना है ।

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