2025 के मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही विपक्षी दलों के विरोध के कारण लगभग ठप हो गई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विशेष रूप से बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन अहम विधेयकों पर चर्चा की मांग की। इन विधेयकों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को गंभीर अपराधों में 30 दिन से अधिक समय तक न्यायिक हिरासत में रहने पर पद से हटाने का प्रावधान है, जिसे विपक्षी दलों ने ‘तानाशाही’ और ‘अविवेकपूर्ण’ करार दिया ।
विपक्षी सांसदों ने इन विधेयकों की प्रतियां फाड़कर और कागज फेंककर विरोध जताया, जबकि कुछ ने वेल में जाकर नारेबाजी की। इस हंगामे के बीच, सरकार ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को बिना बहस के पारित करवा लिया, जिनमें ‘ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक’, ‘राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक’, ‘खनिज और खनिज (विकास और नियमन) संशोधन विधेयक’ और ‘टैक्सेशन संशोधन विधेयक’ शामिल हैं ।
सत्र की शुरुआत से ही विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया, जिससे कार्यवाही बाधित हुई। सत्र के दौरान केवल एक Structured Discussion ‘ऑपरेशन सिंधूर’ पर हुई, जबकि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो पाई ।
इस सत्र ने संसद की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं, और आगामी सत्रों में इस पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है।