ताजा हलचल

“क्या न्यायपालिका संसद से ऊपर?” उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान से छिड़ी नई संवैधानिक बहस

“क्या न्यायपालिका संसद से ऊपर?” उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान से छिड़ी नई संवैधानिक बहस

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर संसद की सर्वोच्चता को लेकर न्यायपालिका पर सवाल उठाए हैं, जिससे विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संतुलन पर बहस तेज हो गई है। 26 नवंबर 2023 को संविधान दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संसद देश की आत्मा है और उसकी संप्रभुता कार्यपालिका या न्यायपालिका के किसी भी हस्तक्षेप के अधीन नहीं हो सकती।

धनखड़ ने कहा कि संसद संविधान की एकमात्र रचयिता है, और इसके विशेष अधिकार क्षेत्र में किसी भी प्रकार की घुसपैठ संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच सहयोगात्मक संवाद आवश्यक है, न कि टकराव की स्थिति।​धनखड़ पहले भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) कानून को रद्द करने की आलोचना कर चुके हैं, इसे संसद की संप्रभुता पर गंभीर आघात बताया था। ​

उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, इसे न्यायपालिका पर असाधारण हमला करार दिया है और कहा है कि यह संविधान की मूल संरचना पर सवाल उठाने जैसा है। धनखड़ के इस बयान ने एक बार फिर भारत में विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संतुलन और सीमाओं पर बहस को नई हवा दी है, जो लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है।

Exit mobile version