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चमोली हादसा: खड़े-खड़े जिंदा जले लोग… जो जहां था वहीं लोहे से चिपक गया; तीन मिनट में हुआ सबकुछ तबाह

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एसटीपी प्लांट को जाने वाले चार फीट के प्लेटफार्म में मौत ने जैसे लोगों को घेरकर उन पर झपट्टा मारा था। मौत की इस आग में वहां खड़े कई लोग सूखे पत्तों की तरह जलने लगे। उन्हें इस तरह आग की लपटों में घिरा देख वहां मौजूद भीड़ में चीख पुकार मच गई। सकरे रास्ते में भगदड़ मच गई। लोग इधर-उधर गिरने लगे।

दरअसल, अलकनंदा नदी के किनारे बने इस एसटीपी प्लांट को जाने वाला रास्ता वहां सेफ्टी वॉल (सुरक्षा दीवार) के ऊपर बना है। यह बमुश्किल चार फीट चौड़ा और 30 मीटर लंबा रास्ता है। इसके दोनों ओर लोहे की जाली की रेलिंग लगी है। इसके साथ ही लोहे के चार खंभों के सहारे प्लांट तक एक पाइप पहुंचाया गया है।

सुबह के वक्त यहां स्थानीय लोग ऑपरेटर की तलाश में पहुंचे थे। ऑपरेटर यहां लोहे की सीढ़ियों के पास इसी चार फीट के प्लेटफार्म पर पड़ा था। एक के बाद एक यहां लोगों की भीड़ लग गई। चौकी प्रभारी प्रदीप रावत भी वहां कुछ सिपाहियों और होमगार्ड के साथ पहुंचे थे।

छोटी सी जगह पर तकरीबन 35 लोग वहां जमा हो गए। मौत जैसे उन्हें चुपके से देख रही थी। अचानक वहां लोहे की सीढ़ियों के पास हाई वोल्टेज करंट दौड़ गया। इसकी चपेट में आए कई लोगों में देखते ही देखते आग की लपटें उठने लगीं। कुछ लोग ऐसे जल रहे थे कि मानों सूखे पत्तों के ढेर में किसी ने आग लगाई हो।

उन्हें देखकर वहां अन्य लोग चीख-पुकार करते हुए भागने लगे। उस वक्त किसी का हाथ रेलिंग से लगा तो किसी ने लोहे के पोल को पकड़ा। सभी एक दूसरे से चिपककर वहीं गिर गए। देखते-देखते मौके पर ही 15 लोग मौत के आगोश में समा गए। अस्पतालों से लेकर घरों और यहां तक की छोटे से इस शहर में मातम छा गया।

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