गुजरात में भाजपा सांसद मनसुख वसावा ने मणरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। भरूच लोकसभा क्षेत्र से सातवीं बार चुने गए वसावा ने राजपिपला गेस्ट हाउस में आयोजित एक बैठक के दौरान दावा किया कि ‘स्वर्णिम’ नामक संस्था ने उन्हें योजना की पड़ताल के दौरान एक सूची दिखाई, जिसमें कई राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम और कथित कमीशन का जिक्र था। उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ विपक्ष ही नहीं, बल्कि उनके अपने दल के नेता, बैरिस्टर तथा वरिष्ठ अधिकारी भी लाभ में शामिल थे और सभी की “हाथ साफ नहीं” है ।
उन्होंने गुजरात विधानसभा एवं भरूच, नर्मदा समेत पूरे राज्य में सीआईडी जांच की मांग की, क्योंकि मणरेगा योजना की लगभग ₹1,000 करोड़ की रकम संभवतया गलत ढंग से खर्च की गई है। वसावा ने यह भी कहा कि यह मामला व्यापक तथा संस्थागत हो सकता है, और उन्होंने सीआईडी जांच को “राज्य भर में” विस्तार देने की अपील की ।
इसी बीच, राज्य के कृषि राज्य मंत्री बच्चुभाई खाबड़ के बेटे बलवंत खाबड़ को मणरेगा घोटाले में ज़मानती गिरफ़्तारी हुई है, जिससे राज्य में सियासी गरमाहट और बढ़ गई है। विपक्ष ने इसे मोदी सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाने का मामला बताया है, जबकि भाजपा का कहना है कि विवरण सामने लाना उनकी जिम्मेदारी थी। अब सबकी निगाह मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सरकार की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हुई है – क्या वे वसावा की मांग पर सीआईडी जांच करेंगे या इसे केवल राजनीतिक रंग देने का अन्दाज कहकर टालेंगे?