पंजाब में मूसलाधार बारिश के बाद तेज़ी से फैलते बाढ़ की विभीषिका ने एक बार फिर राज्य को हिलाकर रख दिया है। बुधवार तक मिली रिपोर्टों के अनुसार राज्य में अब तक 37 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि लगभग 3.55 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इस मुश्किल समय ने कृषि और जनजीवन दोनों पर गहरा असर डाला है: लगभग 1,75,216 हेक्टेयर फसलें जलमग्न हो गईं, जो लाखों किसानों की आजीविका को संकट में डाल रही है।
सरकार ने इस व्यापक संकट को देखते हुए पूरे राज्य में सभी शैक्षणिक संस्थानों—स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय—को आठ सितंबर तक बंद रखने का आदेश दिया है। यह कदम भारी बारिश और पानी भर जाने की स्थिति में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
बाढ़ की चपेट में आने वाले 23 जिलों में राहत और बचाव अभियान युद्धस्तर पर जारी हैं। प्रभावित आबादी को राहत शिविरों में स्थानांतरित किया जा रहा है, और एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और अन्य एजेंसियों की टीमें रात-दिन संघर्ष कर रही हैं। कृषि भूमि और भवनों को हुए नुकसान के आंकड़ों की समीक्षा की जा रही है, ताकि उचित मुआवजा व सहायता प्रदान की जा सके।
बाढ़ ने पंजाब को 1988 के बाद शायद सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदा का सामना कराया है। हिमाचल और जम्मू–कश्मीर में हुई बारिश की वजह से सूतलज, रावी और ब्यास जैसी प्रमुख नदियाँ उफान पर हैं, जिनसे बाढ़ की विकरालता और बढ़ रही है।
राज्य सरकार की ओर से राहत कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है और क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए विशेष कवायद शुरू की गई है।