उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून और कड़ा: डिजिटल माध्यम से धर्म परिवर्तन पर भी होगी सजा, विधानसभा में विधेयक पेश

उत्तराखंड सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन आठ नए विधेयकों में से एक ‘Freedom of Religion (Amendment) Bill, 2025’ विधानसभा में पेश किया। इस बिल में जबरन और धोखाधड़ी करने वाले धर्मांतरण की सजा को और कठोर बनाया गया है तथा इसमें डिजिटल माध्यमों से धर्म परिवर्तन कराने पर भी स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।

मुख्य प्रावधानों में सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने या प्रोत्साहन देने वालों को दंडित करने की व्यवस्था शामिल है। इसके तहत, सामान्य मामलों में 3–10 वर्ष की जेल व जुर्माना, संवेदनशील समूहों (जैसे महिलाएं, नाबालिग, SC/ST व दिव्यांग) के मामले में 5–14 वर्ष की जेल और ₹1 लाख तक का जुर्माना, और भारी मामलों—जिनमें जबरदस्ती, छल, भगौड़ा अवसर या विदेश से धन प्राप्ति—मेँ 20 वर्ष से उम्रकैद तथा ₹10 लाख तक जुर्माना संभव होगा।

सरकार का दावा है कि यह बिल सैद्भाव, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक संरचना की रक्षा के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अभी विधेयक को विधानसभा में पारित होना है, जिसके बाद इसकी कानूनी स्वरूप स्पष्ट होगा। लोकसभा और राज्य विधानसभा दोनों में यह कदम संवैधानिक दृष्टिकोण और सामाजिक न्याय के रूप में देखा जा रहा है।

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