सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका को कहा ‘सुंदरता से गढ़ी गई कहानी’, साक्ष्यों के अभाव में खारिज

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार, 16 मई 2025 को रोहिंग्या शरणार्थियों के कथित निर्वासन को लेकर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत सरकार ने जबरन म्यांमार निर्वासित किया और उन्हें समुद्र में फेंक दिया।

हालांकि, न्यायालय ने इसे “सुंदरता से गढ़ी गई कहानी” करार देते हुए इसे साक्ष्यों के अभाव में खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि याचिका में प्रस्तुत तथ्यों में कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं और यह “अत्यधिक सामान्य और अस्पष्ट” हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता सोशल मीडिया से जानकारी एकत्र कर याचिका दायर कर रहे हैं, जो पर्याप्त नहीं है। साथ ही, न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों को भी भारतीय संप्रभुता के खिलाफ मानते हुए खारिज किया। अंततः, न्यायालय ने इस मामले को जुलाई 31, 2025 को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

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