देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अहम फैसले में मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। यह मामला एक मंदिर में मूर्ति स्थापना और उससे जुड़े धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर दायर याचिका से जुड़ा था, जिसमें याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कोई बदलाव नहीं करेगा और धार्मिक मामलों में न्यायिक दखल की सीमाओं को रेखांकित किया। अदालत ने कहा कि जब मामला आस्था और परंपराओं से जुड़ा हो, तो उसे संवेदनशीलता और सम्मान के साथ देखा जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कोई स्पष्ट संवैधानिक उल्लंघन या जनहित प्रभावित न हो, तब तक ऐसे मामलों में हस्तक्षेप उचित नहीं है।
इस फैसले को धार्मिक संगठनों और आम लोगों द्वारा सराहा गया है, जो मानते हैं कि यह निर्णय आस्था और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह मामला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता बल्कि न्यायिक मर्यादा के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।