लद्दाख के प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता और मैगसेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी लेह में राज्यhood और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद की गई, जिसमें चार लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद, जम्मू-कश्मीर के कई प्रमुख नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार की कार्रवाई से यह गिरफ्तारी अपेक्षित थी, और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इसे सत्य बोलने की सजा बताते हुए कहा कि वांगचुक को शांतिपूर्ण आंदोलन करने के लिए दंडित किया जा रहा है।
वांगचुक की पत्नी गितांजलि आंगमो ने आरोप लगाया कि उनके घर को जबरन खंगाला गया और उन्हें अपराधी की तरह पेश किया गया। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला और सरकार द्वारा छवि धूमिल करने की साजिश बताया।
केंद्र सरकार ने वांगचुक की संस्था SECMOL का विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया और उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। वांगचुक ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह स्थानीय लोगों की निराशा का परिणाम है, न कि उनकी किसी उकसावे की कार्रवाई ।