लद्दाख प्रशासन ने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर ‘विच हंट’ और ‘धुंआधार अभियान’ जैसे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई ठोस दस्तावेज़ी साक्ष्यों और विश्वसनीय सूचनाओं के आधार पर की गई है। वांगचुक को 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसक झड़पों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसमें चार लोग मारे गए थे और 80 से अधिक घायल हुए थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद, प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू लागू किया और मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी। वांगचुक को जोधपुर केंद्रीय जेल भेजा गया है, जबकि उनकी संस्था HIAL और NGO SECMOL के खिलाफ विदेशी मुद्रा उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताओं की जांच जारी है।
वांगचुक की पत्नी, गितांजलि अंगमो ने आरोप लगाया है कि सरकार जानबूझकर उनके पति को ‘राष्ट्रविरोधी’ के रूप में प्रस्तुत कर रही है। उन्होंने इसे ‘झूठा प्रचार’ और ‘विच हंट’ करार दिया है। हालांकि, प्रशासन ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि वांगचुक ने कई बार उकसाने वाले बयान दिए, जिनमें नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के उदाहरण देकर युवाओं को भड़काने की कोशिश की गई। प्रशासन ने यह भी कहा कि वांगचुक ने हड़ताल जारी रखकर सरकार के साथ वार्ता की प्रक्रिया को बाधित किया।
वर्तमान में, लेह में स्थिति शांतिपूर्ण है और प्रशासन ने विश्वास व्यक्त किया है कि जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल होगी। लद्दाख नेताओं और केंद्र सरकार के बीच आगामी वार्ता 6 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जिसमें वांगचुक और अन्य की रिहाई की शर्त रखी गई है।