तेलंगाना के महबूबनगर जिले के 30 वर्षीय युवक मोहम्मद निज़ामुद्दीन की अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के सैंटा क्लारा शहर में पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, 3 सितंबर को निज़ामुद्दीन ने अपने रूममेट पर चाकू से हमला किया था, जिसके बाद पुलिस ने उसे गोली मार दी। हालांकि, निज़ामुद्दीन के परिवार ने पुलिस के इस बयान को खारिज करते हुए दावा किया है कि निज़ामुद्दीन ने खुद पुलिस को मदद के लिए बुलाया था और वह निहत्था था। परिवार ने आरोप लगाया है कि निज़ामुद्दीन को नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा था और वह इसके खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। परिवार ने भारत सरकार से अपील की है कि वे निज़ामुद्दीन के शव को भारत लाने में मदद करें। सैंटा क्लारा पुलिस और जिला अभियोजक कार्यालय इस मामले की जांच कर रहे हैं।
निज़ामुद्दीन ने 2016 में अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया था और बाद में एक सॉफ़्टवेयर कंपनी में कार्यरत हुए थे। परिवार के अनुसार, निज़ामुद्दीन ने लिंक्डइन पर नस्लीय घृणा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न, वेतन धोखाधड़ी और खाद्य विषाक्तता के अनुभवों के बारे में शिकायत की थी। परिवार का मानना है कि उसकी मौत नस्लीय भेदभाव का परिणाम है।
इस घटना ने अमेरिका में भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए नस्लीय भेदभाव और सुरक्षा के मुद्दों को फिर से उजागर किया है। परिवार की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।