भारत सरकार ने हाल ही में एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति पेश की है, जिसका उद्देश्य विदेशी कंपनियों को स्थानीय उत्पादन के लिए आकर्षित करना है। इस नीति के तहत, कंपनियों को यदि वे भारत में EV निर्माण के लिए कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करती हैं और उत्पादन तीन वर्षों के भीतर शुरू करती हैं, तो उन्हें आयात शुल्क में 70% से घटाकर 15% तक की छूट मिल सकती है। हालांकि, टेस्ला ने इस नीति में रुचि नहीं दिखाई है और केवल भारत में अपने शोरूम स्थापित करने की योजना बना रही है ।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि टेस्ला ने भारत में कार निर्माण में कोई रुचि नहीं दिखाई है। इसके बजाय, कंपनी केवल शोरूम स्थापित करने की योजना बना रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि टेस्ला भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए खुदरा बिक्री पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जबकि स्थानीय उत्पादन में कोई भागीदारी नहीं कर रही है ।
इस विकास से भारत की महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा है, जो वैश्विक EV केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि, अन्य वैश्विक वाहन निर्माता जैसे मर्सिडीज-बेंज और फॉक्सवैगन ने इस नीति में रुचि दिखाई है, जिससे भारत में EV उत्पादन के लिए संभावनाएं बनी हुई हैं।
इस बीच, टेस्ला ने मुंबई के कुर्ला में नया कार्यालय किराए पर लिया है, जो भारत में अपने संचालन को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है ।