सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने पाया है कि बागेश्वर जिले में खनन कार्य प्राकृतिक ढलानों को अस्थिर कर रहे हैं, जिससे भूस्खलनों, घरों में दरारों, फसलों की हानि और जल स्रोतों के सूखने जैसे गंभीर पर्यावरणीय और जनजीवन संबंधी संकट उत्पन्न हो रहे हैं।
30 जुलाई को एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि कंडी–कान्याल घाटी की करीब 61 खानों में खदानों द्वारा ढलानों को ऊँचाई से काटकर स्तरों (benches) का निर्माण नहीं किया गया, जिससे भूमि स्थिरता खतरे में है। साथ ही मलबा नदियों में फेंकने से जल मार्ग अवरुद्ध हो रहे हैं और भूजल गंभीरता से दूषित हो रहा है।
बैगेश्वर भूकम्पीय जोन V में स्थित है, अतः इन अवैध क्रियाओं से भूस्खलन की संभावना और गंभीर होती जा रही है। समिति ने सुझाव दिया कि माइक्रो-भूकंप मॉनिटरिंग, सैटेलाइट आधारित वृद्धि पहचान, चालू और प्रस्तावित खानों में स्थिरता विश्लेषण, तथा जीआईएस-आधारित लीज डेटाबेस जैसे वैज्ञानिक निगरानी उपाय अपनाए जाएं।