उत्तराखंड में ज्वालामुखीय ऊर्जा से बदलेगा भविष्य! कैबिनेट ने दी भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति 2025 को मंजूरी

उत्तराखंड कैबिनेट ने भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति 2025 को मंजूरी देकर स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर दी है। यह नीति भूगर्भीय स्रोतों के वैज्ञानिक व तकनीकी अन्वेषण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार की गई है, जिससे राज्य में अर्थ-पर्यावरणीय रूप से समर्थ ऊर्जा के अवसर सृजित होंगे ।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता वाली बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसमें रोजगार सुरक्षा एवं ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखा गया। नीति के अंतर्गत ऊर्जा विभाग विभिन्न एजेंसियों, जैसे यूआरईडीए और यूजेवीएन लिमिटेड के सहयोग से काम करेगा । इससे न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन घटेगा बल्कि ऊर्जा की आत्मनिर्भरता और टिकाऊपन भी सुनिश्चित होगा ।

राज्य में लगभग 40 भू-ऊष्मीय स्थल—मुख्यतया चमोली जिले के बद्रीनाथ व तपोवन इलाकों में—पहचान किए गए हैं, जहां से इस ऊर्जा का दोहन संभव है । जनवरी में आइसलैंड की Varkis Consulting Engineers के साथ हुए एमओयू के तहत प्रारंभिक अध्ययन की व्यवस्था की गई थी, जिसमें आईसीडब्ल्यू के अनुभव व तकनीकी दक्षता को ध्यान में रखा गया है । एमओयू के अनुसार, अध्ययन का खर्च आइसलैंड सरकार वहन करेगी ।

भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति लागू होने से न केवल प्रदेश का स्वच्छ ऊर्जा पोर्टफोलियो मजबूत होगा, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में एक नए तकनीकी अध्याय की शुरुआत भी होगी जो भविष्य में पर्यटन, बिजली उत्पादन और जल-तापमण्डलीय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

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