उत्तराखंड समाचार: दिल्ली में हुए स्पेस मीट (Space Meet) में प्रदेश ने केंद्र सरकार से हिमालयी राज्यों के लिए एक अलग सैटेलाइट समूह की मांग रखी है।
इस प्रस्ताव के तहत, राज्य ने अत्यधिक स्पष्टता (50 सेंटीमीटर या उससे भी बेहतर) वाले सैटेलाइट चित्र और उन्नत डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM), लिडार तकनीक आदि का उपयोग करने की मांग की है ताकि पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन, बाढ़, हिमस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी प्रणाली अधिक सटीक हो सके।
स्पेस मीट में उत्तराखंड की ओर से सचिव आईटी नितेश झा ने राज्य की आपदा-तैयारी एवं राहत-बचाव संबंधी योजनाओं का विस्तार से प्रजेंटेशन दिया। साथ ही, प्रदेश ने आपदा के बाद भी संचार सेवा बनाए रखने के लिए सैटेलाइट आधारित नेटवर्क की व्यवस्था करने की आवश्यकता भी उठाई।
प्रदेश का तर्क है कि हिमालयी क्षेत्रों की विशिष्ट भौगोलिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को इस क्षेत्र के लिए एक समर्पित सैटेलाइट समूह बनाना चाहिए, ताकि राज्य को समय पर ऑब्ज़र्वेशन डाटा मिल सके और आपदा-नियंत्रण की संभावनाएँ बेहतर हो सकें।