उत्तराखंड सरकार ने मदरसों में धार्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब मदरसों को राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करनी होगी। इसके बाद ही वे धार्मिक शिक्षा देने के पात्र माने जाएंगे।
इससे पहले, मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट 2016 के तहत मदरसों को मान्यता मिलती थी, लेकिन अब इस कानून को समाप्त कर दिया गया है। नई व्यवस्था के तहत, सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को एक समान मानकों के आधार पर मान्यता प्राप्त करनी होगी। इसके लिए उन्हें राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण में आवेदन करना होगा।
इसके अतिरिक्त, मदरसों में शिक्षक भर्ती के लिए भी नए मानक निर्धारित किए गए हैं। शिक्षकों की नियुक्ति अब राज्य शिक्षा बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत होगी, जिसमें शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और अन्य मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा।
यह कदम राज्य में मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार का मानना है कि इससे मदरसों में पढ़ाई की गुणवत्ता में वृद्धि होगी और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
हालांकि, इस निर्णय के बाद कुछ मदरसा संचालकों ने चिंता व्यक्त की है, क्योंकि उन्हें मान्यता प्रक्रिया में देरी और नए मानकों के पालन में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मदरसा संचालकों को आवश्यक सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने का आश्वासन दिया है।