गत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने कुल 358 जिला पंचायत सीटों में 121 पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने 92 और निर्दलीयों ने 145 सीटें जीतीं। प्रभावशाली लेकिन पार्टी से जुड़े दिग्गज नेताओं के परिजनों — जैसे कि राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी, विधायक महेश जीना के बेटे करण, प्रवीन सिंह फर्त्याल की बेटी, दिलीप रावत की पत्नी आदि को ग्रामीण मतदाताओं ने सख्त नकारा, और इन्हें हार का सामना करना पड़ा ।
निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस बार ग्रामीण जनता का भरोसा जीतकर प्रमुख भूमिका निभाई — कई निर्दलीय विजेताओं ने भाजपा के समर्थन से तालमेल भी घोषित किया, जिससे उनकी प्रासंगिकता और बढ़ी । सीला दुगड्डा सीट पर निर्दलीय सीमा भंडारी ने भाजपा व कांग्रेस दोनों की मुस्लिम उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की, जो स्थानीय मुद्दों पर आधारित सशक्त संदेश माना जा रहा है ।
चमोली जैसे जिलों में मतदाताओं ने बीजेपी-कांग्रेस दोनों को पीछे छोड़ते हुए अधिकतर सीटों पर निर्दलीयों को चुना — यह ग्रामीण स्तर पर पारंपरिक दलों की स्वीकार्यता को दर्शाता है ।
चुनाव परिणामों के बाद भाजपा ने सफल प्रदर्शन की खुशी मनाई, वहीं कांग्रेस ने स्थानीय स्तर पर भाजपा की नीतियों—महिला सुरक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य—के प्रति मतदाताओं की नाराज़गी का हवाला दिया है ।