उत्तराखंड शिक्षा विवाद: आठ साल पुराना शासनादेश गायब, शिक्षकों की पदोन्नति पर अब होगी कड़ी कार्रवाई

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति में आठ साल से जारी शासनादेश अचानक गायब हो गया है, जिससे राज्यभर में हलचल मच गई है। शासनादेश के अभाव में 2016 से लंबित लगभग 2,300 पदोन्नतियाँ प्रभावित हुई हैं, जिससे स्कूलों में प्रशासनिक संकट गहरा गया है। करीब 1,200 स्कूलों में प्रधानाचार्य और 700 से अधिक में मुख्याध्यापक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि विभाग ने जानबूझकर पदोन्नति नियमों को लागू नहीं किया, जिससे उनकी सेवा में अनिश्चितता बनी रही।

इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और 22 सितंबर तक अस्थायी पदोन्नति सूची जारी करने का आदेश दिया है। इसके बावजूद, शासनादेश की गुमशुदगी पर कोई स्पष्टता नहीं आई है। शिक्षक संघों ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।

इस मामले में शिक्षा सचिव ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं, लेकिन शासनादेश की अनुपस्थिति से स्थिति और भी जटिल हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

यह संकट न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। सरकार को शीघ्र इस मुद्दे का समाधान करना होगा, ताकि शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।

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