सेंट्रल अपीलेट ट्रिब्यूनल ने ICICI बैंक की पूर्व MD‑CEO चंदा कोचर को विडियोकॉन ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर करने में रिश्वत लेने का दोषी पाया है। आरोप है कि 27 अगस्त 2009 को विडियोकॉन ने “क्विड‑प्रो‑क्वो” व्यवस्था के तहत 64 करोड़ रुपये उनके पति दीपक कोचर के नियंत्रित NuPower Renewables Pvt Ltd कंपनी के माध्यम से ट्रांसफर किए थे, जो लोन की निर्गम प्रक्रिया को एक दिन बाद हुआ था ।
ट्रिब्यूनल ने अपनी 3 जुलाई की निर्णय में स्पष्ट किया कि चंदा कोचर ने संघर्ष हित (conflict of interest) को डिक्लियर नहीं किया और ICICI बैंक की आंतरिक नियमों का उल्लंघन किया । साथ ही 2020 में जुड़ी 78 करोड़ रुपये की संपत्ति रिहाई देने वाले पहले के निर्णय को भी वह सर्वोच्च ठहराते हुए खारिज कर दिया गया। ट्रिब्यूनल ने एडी (Enforcement Directorate) द्वारा लगाए वित्तीय लेन‑देन और PMLA में दर्ज गवाही को संपर्कीय साक्ष्य माना ।
यह मामले ICICI‑विडियोकॉन कर्ज घोटाले की जांच में नया मोड़ है, जिसमें 2009-2011 के दौरान कोचर ने अपनी भूमिका का अनुचित फायदा उठाया और कुल 1,875 करोड़ रुपये के बड़े लोन संसाधन जारी किए गए थे – जिनमें अधिकांश बाद में NPA (Non‑Performing Asset) बन गए ।
इस फैसले के बाद चंदा कोचर, उनके पति और विडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल ढूढ़ की जांच तेज होगी, और आगे की कानूनी कार्रवाई खुलकर सामने आ सकती है। यह भारत में कॉरपोरेट शासन और बैंकिंग नैतिकता के लिए एक ऐतिहासिक कैलिबर वाला मामला बन चुका है।