मालेगांव ब्लास्ट (2008) मामले के गवाह मिलिंद राव जोशी ने दावा किया है कि उन्हें महाधमाका की कहानी “सफेद आतंक से भगवा आतंक तक” स्थापित करने के लिए भारतीय जांच एजेंसियों, विशेष रूप से CBI और ATS, द्वारा दबाव डाला गया था। उन्होंने कहा कि उन्हें योगी आदित्यनाथ सहित पांच RSS नेताओं के नाम लेने को मजबूर किया गया, जिसके दौरान छताना व प्रताड़ना की गई ।
जोशी ने आरोप लगाया कि कई गवाहों के साथ पहले से लिखे हुए बयान उन्हें पेश किए गए, अभद्रता और सीमित सरकारी दबाव से उन्हें झूठे आरोप स्वीकार करने को मजबूर किया गया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उन्हें अगवा करके पुणे के जंगलों में ले जाया गया और “फेक एनकाउंटर” धमकी दी गई।
इसके अलावा, जोशी ने यह आरोप भी लगाया कि ऐसा सबूत मनगढ़ंत ढंग से रचे गए थे—जैसे कि RDX को एक अन्य आरोपी के कमरे में लगाया गया, और घटनास्थलों से बाइक जैसी वस्तुओं को गलत तरीके से लिंक किया गया ।
इस खुलासे के साथ ही NIA की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिससे मिलिंद जोशी का कहना कि पूरी जांच राजनीतिक रूप से प्रेरित थी, उस पर और सवाल खड़े हो गए ।