एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त महाराष्ट्र एटीएस (Anti-Terrorism Squad) अधिकारी महिबूब मुजावर ने दावा किया है कि 2008 के मालेगांव बम मामले में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अध्यक्ष मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश मिला था। यह कदम कथित रूप से “साफ़रन आतंकवाद” (Bhagwa terror) का चित्रण करने के लिए उठाया गया था।
मुजावर ने बताया कि तत्कालीन एटीएस प्रमुख परमबीर सिंह के निर्देशों के तहत उन्हें मोहन भागवत सहित राम कालसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पटिदार जैसे नामों को निशाना बनाने के लिए कहा गया था। इसमें भागवत जैसा प्रभावशाली नेता शामिल था, जिसे गिरफ्तार करना संभव ही नहीं था। मुजावर ने इन निर्देशों को “भयानक” बताया और असहमत रहते हुए उसे नकार दिया। इसके विरोध में उनके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज कर दिया गया जिससे उनकी लगभग 40 साल की सेवा प्रभावित हुई।
यह खुलासा उस समय आया है जब विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव बम मामले में सभी सात आरोपीयों को निर्दोष ठहराया है, जिसमें भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं। मुजावर का कहना है कि यह निर्णय एटीएस द्वारा की गई कथित जाली और राजनीतिक रूप से प्रेरित जांच को बेनकाब करता है।