वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप, लिवरपूल में भारत के महिला मुक्केबाजों ने इतिहास रचा है। मीनाक्षी हुड्डा (48 किग्रा) और जैस्मिन लम्बोरिया (57 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीतकर भारत को देश के बाहर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का खिताब दिलाया।
जैस्मिन ने पोलैंड की ओलिंपिक रजत पदक विजेता जूलिया सेरेमेटा को हराया, जबकि मीनाक्षी ने कज़ाकिस्तान की तीन बार की विश्व प्रतियोगिता पदक विजेता नाज़ीम क्यज़ाइबे को पराजित कर स्वर्ण हासिल किया।
इस से भारतीय महिला बॉकिंग की ताकत सामने आई है — केवल स्वर्ण पदक ही नहीं बल्कि, संयम, तकनीकी श्रेष्ठता, मानसिक दृढ़ता और रणनीतिक तैयारी भी।
पूजा रानी और नुपूर श्योराण ने क्रमशः कांस्य और रजत पदक हासिल कर इस प्रदर्शन को और निखारा। भारत ने कुल चार पदक जीते — यह विदेशी जमीन पर अब तक का सबसे बेहतरीन पदक संग्रह है।
यह सफलता भारतीय मुक्केबाज़ी के लिए एक प्रेरणादायक मोड़ है, खासकर उन युवा खिलाड़ियों के लिए जो अब विश्वस्तरीय प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। इस उपलब्धि से राष्ट्रीय कोचिंग, इनफ्रास्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में भागीदारी की दिशा में और अनुकूल नीतियाँ बनने की उम्मीद जगी है।