उत्तराखंड सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून को और कठोर बनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि अब जबर्दस्ती या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराना गैर-जमानती अपराध माना जाएगा, जिसमें दोषियों को अधिकतम 10 वर्ष तक की जेल और ₹50,000 तक का जुर्माना भुगतना होगा। कानून का कार्यान्वयन और उल्लंघन की स्थिति में पीड़ित को कम से कम ₹5 लाख मुआवजा दिलाए जाने की व्यवस्था भी की गई है ।
इसके साथ ही सरकार ने पुलिस मुख्यालय स्तर पर एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का ऐलान किया है, जो पूरे राज्य में धर्मांतरण से जुड़े मामलों की गहराई से जांच करेगी। विशेष रूप से छांगूर बाबा गिरोह जैसे कथित अंतरराष्ट्रीय रैकेटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी—अग्रिम में ही 6 आरोपियों की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों की संपत्तियों की कुर्की की जा चुकी है ।
धामी ने निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी पहले से इकट्ठा की जाए और पुलिस को आधार व अन्य दस्तावेजों की कड़ी सत्यापन प्रक्रिया अपनाने को कहा गया है ।
इस कानून के स्वागत में साधु-संतों और राज्य भर के धार्मिक समुदाय ने मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया है, ट्विटर पर #DharmRakshakDhami ट्रेंड भी हुआ है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह “कान में तेल डालकर बैठी है” और कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही ।