29 जनवरी को क्यों मनाई जाती है बीटिंग रिट्रीट! यहां जानें 300 साल पुरानी परंपरा के बारे में सब कुछ

जानकारों की मानें तो बीटिंग रिट्रीट समारोह की परंपरा लगभग 300 साल पुरानी है और सबसे पहले इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड में की गई थी.

उस समय जेम्स II ने जंग की समाप्ति के बाद अपने सैनिकों को शाम के वक्त परेड करने और बैंड बाजों की धुन बजाने का अदेश दिया था.

बीट‍िंग र‍िट्रीट सेरेमनी में तीनों सेवाएं शाम‍िल होती हैं. तीनों सेनाओं के बैंक एक साथ म‍िलकर मार्च धुन बजाते हैं और ड्रूमर्स कॉल का प्रदर्शन होता है. इस दौरान महात्मा गांधी की प्रिय धुन भी बजाई जाती है, लेकिन अब सरकार ने अपने एक फैसले में इस समारोह से गांधी जी की प्रिय धुन को हटा दिया है.

इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं, तब सूचित किया जाता है की समापन समारोह पूरा हो गया है.

बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्छा बजाते है. ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते है और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता है तथा राष्ट्रगान बजाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है.

आपको बता दें कि भारत में बीटिंग रिट्रीट समारोह शुरू होने के बाद से मात्र दो बार ऐसा हुआ है कि इस आयोजन को रद्द करना पड़ा है. पहली बार 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में आए भूकंप के कारण और दूसरा 27 जनवरी 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन के निधन के बाद इसे रद्द किया गया था.

मुख्य समाचार

उत्तराखंड के खतरनाक पर्यटन स्थलों पर लगेंगे ‘नो सेल्फी जोन’ बोर्ड, हादसों पर लगेगी लगाम

उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन एवं आपदा‑प्रबंधन विभाग की सिफारिश...

जापान में भूकंप के तेज झटके, 5.1 रही तीव्रता

जापान में गुरुवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस...

विज्ञापन

Topics

More

    जापान में भूकंप के तेज झटके, 5.1 रही तीव्रता

    जापान में गुरुवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस...

    Related Articles