पिता के आवंटित बंगले से बेदखल हुए चिराग पासवान, जानिए पूरा मामला

केंद्र सरकार ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के लिए एक टीम भेजी है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले संपदा निदेशालय ने पिछले साल चिराग पासवान को जारी बेदखली के आदेश को अमल में लाने के लिए अधिकारियों की टीम को जनपथ रोड स्थित बंगले पर भेजा है. अधिकारियों ने कहा कि 12-जनपथ बंगला केंद्रीय मंत्रियों के लिए निर्धारित है और सरकारी आवास में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए कहा गया है.

यह घर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का आधिकारिक पता रहा है, जो अब पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच दो गुटों में विभाजित हो गयी है.

इसका उपयोग पार्टी की संगठनात्मक बैठकों और अन्य संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए नियमित रूप से किया जाता था. दरअसल लोक जनशक्ति पार्टी के संस्‍थापक और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का दिल्ली में 12 जनपथ स्थित सरकारी बंगला अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को दिया गया है.

यह बंगला पासवान को 31 साल पहले आवंटित किया गया था. जानकारी के मुताबिक, शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अधीन संपदा निदेशालय ने 14 जुलाई 2021 को चिराग पासवान को इस बंगले को खाली करने का नोटिस भेजा था. जबकि अपनी मां के साथ रह रहे लोकसभा सांसद चिराग ने अपने पिता की बरसी तक इस बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी.

बता दें कि यह बंगला लुटियन दिल्ली में बने सरकारी बंगलों में सबसे बड़े आवासों में से एक है, जोकि लोक जनशक्ति पार्टी का आधिकारिक पता भी रहा है. हालांकि इससे पहले 12 जनपथ वाला सरकारी बंगला रामविलास पासवान के भाई और चिराग पासवान के चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को अलॉट होने वाला था, लेकिन उन्‍होंने इसे लेने से इनकार कर दिया था, क्‍योंकि इससे बिहार की सियासत में गलत संदेश जाता.

बिहार के दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 2020 में निधन हो गया था. वे 74 साल के थे. वह अपने राजनीतिक सफर में केंद्र की राजनीति में हमेशा बने रहे. यही कारण है कि उन्‍होंने देश के पांच प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया.




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