डिप्टी स्पीकर का चुनाव: नितिन अग्रवाल को उम्मीदवार बना भाजपा का वैश्य समुदाय को रिझाने के लिए लगाया दांव

बता दें कि भाजपा के डिप्टी स्पीकर पद पर उतारे गए नितिन अग्रवाल के पिता पूर्व राज्यसभा सांसद और पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल की उत्तर प्रदेश में वैश्य समुदाय में अच्छी पकड़ मानी जाती है. ‘नरेश अग्रवाल को प्रदेश में दल बदल नेता के रूप में भी जाना जाता है’. यह ऐसे नेता हैं उत्तर प्रदेश में जिसकी सरकार रहती है उसी के साथ दिखाई देते हैं.

कांग्रेस, बसपा और सपा के साथ सियासी पारी खेल चुके नरेश अग्रवाल अब मौजूदा समय में भाजपा के साथ हैं. इनका प्रदेश के हरदोई जनपद और आसपास क्षेत्रों में काफी प्रभाव माना जाता है. ‘बीजेपी 2022 के चुनाव से पहले नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाकर सूबे के वैश्य समुदाय को बड़ा सियासी संदेश देने की रणनीति तैयार की है’. बता दें कि नितिन अग्रवाल अपने पिता नरेश अग्रवाल के साथ 2012 विधानसभा चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए और हरदोई सदर सीट से चुनाव लड़ा और जीते.

अखिलेश सरकार में उन्हें स्वास्थ्य राज्यमंत्री और बाद में लघु उद्योग विकास में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया. नितिन ने सपा के टिकट पर हरदोई सदर सीट से साल 2017 का विधानसभा चुनाव जीता. लेकिन राज्य में योगी सरकार बनने पर नरेश अग्रवाल भाजपा में आ गए, साथ में पुत्र नितिन अग्रवाल सपा से बागी हो गए. ‘भाजपा ने हरदोई सदर विधानसभा सीट से तीसरी बार के विधायक नितिन अग्रवाल को डिप्टी स्पीकर के लिए उम्मीदवार बनाकर लड़ाई को सपा बनाम सपा बना दिया है’.

गौरतलब है कि हरदोई में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद नितिन अग्रवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक और पुणे से एमबीए की डिग्री ली. वह 2008 के उपचुनाव में बसपा के टिकट पर हरदोई सदर सीट से पहली बार विधायक बने. उसके बाद साल 2012 और 2017 में हुए विधान सभा चुनाव में सपा के टिकट पर जीते.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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