नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार समेत 3 पूर्व सीएम को जारी किया अवमानना का नोटिस

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूली के मामले ने हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार, मुख्य सचिव और तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अवमानना का नोटिस जारी किया है. जस्टिस शरद शर्मा की कोर्ट ने तीन हफ्तों में नोटिस पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न आप पर अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए. याचिका में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा , रमेश पोखरियाल निशंक , बीसी खण्डूरी और राज्य के मुख्य सचिव ओमप्रकाश को पक्षकार बनाया गया है.

इस मामले में एक और पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को रुलक संस्था ने 361 के तहत पहले ही नोटिस भेजा है. उनके खिलाफ दो महीने बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होगी.

दरअसल रुलेक (रुरल लिटिगेशन इंटाइटलमेंट केन्द्र) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सुविधाएं असंवैधानिक हैं. लिहाजा उनसे बाजार रेट से पूरा किराया और अन्य सुविधाओं का पैसा लिया जाए. उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने रुलेक संस्था की याचिका पर फैसला देते हुए 3 मई 2019 को सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का आदेश दिया था कि 6 महिने के भीतर पूरा बकाया बाजार भाव से जमा करें.

कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर ये लोग पैसा जमा नहीं करते हैं, तो इन पर कानूनी कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने अपने 56 पेज के निर्णय में लिखा था कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों से बिजली, पानी, गाड़ी, पेट्रोल, मोबाइल सुविधा का सरकार मूल्यांकन कर इनसे ये पैसे भी वसूले.

कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बहुगुणा ने मुख्यमंत्री रहते हुए बंगला अपने नाम करवा लिया था. यह चिन्ता का विषय है. पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के निधन के बाद कोर्ट ने कहा कि एनडी तिवारी का निधन हो गया है तो उनके वारिस व उनकी सम्पत्ति से यह पैसा वसूला जाए.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के 3 मई 2019 के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य सरकार 5 सितम्बर 2019 को एक अध्यादेश ले आई. इस अध्यादेश को कोर्ट में चुनौती मिली तो सुनवाई पूरी होने के दौरान राज्य सरकार 13 जनवरी 2020 को पूर्व सीएम बकाया एक्ट लेकर आ गई. इसे भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और अधिवक्ता कार्तिकेय हरी गुप्ता ने कोर्ट में कहा कि सिर्फ हाईकोर्ट के आदेश को ओवररुल करने के लिये ये एक्ट लाया गया है, जो असंवैधानिक है. इसे निरस्त कर दिया जाए. सरकार ने भी इस पर अपनी दलील कोर्ट में दी, लेकिन कोर्ट ने एक्ट को भी असंवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया.

हाईकोर्ट में रुलेक संस्था ने बताया था कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 16 करोड़ से ज्यादा का बकाया है. इसमें पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खण्डूरी 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, भगत सिंह कोश्यारी 47 लाख 57 हजार, एनडी तिवारी पर 1 करोड़ 13 लाख का बकाया है. इसके अलावा गाड़ी, पेट्रोल, टेलिफोन, बिजली, पानी का खर्च राज्य सरकार को अलग से वसूलना होगा.

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