गढ़वाल उत्‍तरकाशी

Uttarkashi Cloud Burst: वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा, बादल फटने से नहीं बल्कि इस वजह से मची तबाही

मंगलवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई तबाही को पहले बादल फटने की घटना माना जा रहा था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस पर बड़ा खुलासा किया है. उनके अनुसार ये तबाही बादल फटने से नहीं, बल्कि ग्लेशियर से बनी किसी झील के फटने से हुई है. यानी यह कुदरत का एक और खतरनाक रूप था, जो झील के टूटने के बाद सामने आया.

मंगलवार यानी 5 अगस्त को धराली गांव में अचानक तेज बहाव के साथ सैलाब आया और भारी तबाही मचा गया. देखते ही देखते सड़कें, पुल और घर मलबे में तब्दील हो गए. शुरू में लोगों को लगा कि यह क्लाउडबर्स्ट है, लेकिन अब विशेषज्ञों की टीम और सैटेलाइट आंकड़े कुछ और कहानी कह रहे हैं.

कैसे आई तबाही?
वैज्ञानिकों का मानना है कि ऊंचाई वाले इलाके में बनी एक झील ज्यादा बारिश और ग्लेशियर के पिघलने की वजह से भर गई होगी. जब झील का किनारा ज्यादा दबाव नहीं झेल पाया, तो वह टूट गई और उसका पानी बेहद तेजी से नीचे की तरफ बहने लगा. रास्ते में जो भी चट्टान, मिट्टी और बोल्डर मिले, वो सब पानी के साथ बहते गए और नीचे के गांवों में भारी तबाही मचा दी.

गंगवानी इलाके का ब्रिज बह गया, रास्ते बंद हो गए और कई गांवों का संपर्क टूट गया. यह वही तरीका है जिससे साल 2013 में केदारनाथ आपदा आई थी। उस समय चोराबाड़ी झील फटी थी और उसका पानी मंदिर तक तबाही लेकर पहुंचा था.

क्या दिखा वैज्ञानिकों को?
आपको बता दें कि धराली के ऊपर खीरगंगा क्षेत्र में कई ग्लेशियल झीलें मौजूद हैं. इन झीलों में लगातार बारिश और बर्फ के पिघलने से पानी जमा होता है. जब एक झील भरकर टूटती है, तो उसका पानी नीचे बहते हुए बाकी झीलों को भी फोड़ सकता है. इस प्रक्रिया में भारी मलवा और पानी एक साथ बहकर नीचे पहुंचता है और बस्तियों में तबाही मचा देता है.

हालांकि यह पुष्टि अभी बाकी है कि कौन सी झील फटी, लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक यह महज बादल फटने की घटना नहीं हो सकती. यह तबाही किसी ग्लेशियर झील के टूटने की आशंका को और मजबूत करती है.

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