पाकिस्तान अमेरिका की चमचागिरी करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए पाकिस्तान ने पहले ही नोबेल पुरस्कार की मांग कर दी है. अब उन्होंने अमेरिकी सैन्य जनरल माइकल ए कुरिल्ला को निशान-ए-इम्तियाज से नवाजा है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अमेरिकी जनरल को सम्मानित किया. जनरल माइकल कुरिल्ला अमेरिकी सेना के सेंट्रल कंमांड के प्रमुख हैं.
सेंट्रंल कमांड अमेरिकी सेना का वही हिस्सा है, जो ईरान और यमन के हूती विद्रोहियों पर हमला करने का जिम्मेदार है. अमेरिकी सेना का सेंट्रल कमांड मिडिल ईस्ट को कंट्रोल करता है. ये कमांड इस्राइल की ही रक्षा करता है. ऐसे कमांड के प्रमुख को पाकिस्तान द्वारा सम्मानित करना, चर्चा का विषय है.
जनरल कुरिल्ला पाकिस्तान के दौरे पर हैं, इस दौरान, वे पाकिस्तानी राष्ट्रपति भवन पहुंचे. यहां पाकिस्तानी सेना के टॉप कमांडर यानी पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने उन्हें निशान-ए-इम्तियाज को सम्मानित किया. राष्ट्रपति भवन पहुंचने पर पाकिस्तानी सेना की तीनों विंग ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया. उन्होंने पाकिस्तान फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से मुलाकात भी की. सम्मान कार्यक्रम में अमेरिका, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी शामिल थे.
पाकिस्तान तमाम चमचागिरी ऐसे वक्त पर कर रहा है, जब पाकिस्तान आर्थिक संकट से घिरा हुआ है. वह आईएमएफ की शर्तों के आगे झुका हुआ है. एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलने के बावजूद पाकिस्तान की छवि पर सवाल है. भारत फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डलवाने की कोशिश कर रहा है. खास बात है कि अमेरिका सिर्फ एफएटीएफ का सिर्फ संस्थापक सदस्य ही नहीं है बल्कि उसके मानक और फैसले पर अमेरिका सीधा असर डालता है. ऐसे में पाकिस्तान अमेरिका को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहा है.
क्या है निशान-ए-इम्तियाज
‘निशान-ए-इम्तियाज’ पाकिस्तान का एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान है. सैन्य और सिविल दोनों क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाले लोगों को पाकिस्तानी सरकार इससे सम्मानित करती है. निशान-ए-इम्तियाज पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.