कंगाली के बाद बदले पीएम के सुर-भारत से हमने लड़ीं तीन जंग, पर नतीजा ‘बर्बादी’…सबक सीख चुके हैं

कंगाली के भयंकर दौर से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सुर और तेवर बदले-बदले से नजर आए हैं. फिलहाल वह भारत के साथ बातचीत को तैयार बैठे हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तीन युद्धों का जिक्र करते हुए उन्होंने इसके साथ ही यह भी माना कि वे लोग अपना सबक सीख चुके हैं और तीनों जंगों के नतीजे के रूप में उन्हें एक तरह से बर्बादी ही मिली. वह दो टूक बोले कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति से रहना चाहता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनका मैसेज है कि मेज पर बैठकर मसलों का हल निकाला जाए.

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक चैनल को हाल ही में दिए इंटरव्यू में पाकिस्तानी पीएम बोले, “भारत हमारा पड़ोसी है. हम पड़ोसी मुल्क हैं. खुलकर बात करूं तो हम अपनी इच्छा से पड़ोसी नहीं है, पर हमें साथ रहना है. यह हम पर निर्भर है. यह हम पर निर्भर करता है कि हम शांति से रहें, तरक्की करें या फिर एक-दूसरे के साथ लड़-झगड़कर रहें और अपना समय-संसाधन बर्बाद करें…ये हमारे ऊपर ही है.”

बकौल शरीफ, “पाकिस्तान ने अपना सबक सीख लिया है. भारत के साथ हमारी तीन जंग हुईं और इन सभी में केवल मुसीबत, बेरोजगारी, गरीबी और लाखों के जीवन खराब और बर्बाद हुए. हमने अपना सबक सीख लिया है. अब हम शांति से जीना चाहते हैं. हम अपनी समस्याओं को सुलझाना चाहते हैं, बशर्ते हम अपनी जरूरी समस्याओं को सुलझा लें.”

उन्होंने आगे बताया, हमारे पास मजबूत लोग हैं. मजदूर हैं और इंजीनियर हैं. ये हमारी ताकत हैं, हम इन्हें समृद्धि का साधन बनाना चाहते हैं. हम इसके लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल गरीबी और बेरोजगारी खत्म करने, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और बढ़िया शिक्षा देने में करना चाहते हैं. हम इन संसाधनों को गोला और बारूद पर बर्बाद नहीं करना चाहते हैं. यह मैसेज में मोदी (पीएम मोदी) को देना चाहता हूं.

शहबाज ने कहा- भारत के नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी को मेरा पैगाम है कि बातचीत की मेज पर बैठिए और अपने ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने के लिए ईमानदार और गंभीर बात करें, जैसे कश्मीर…जहां दिन-रात मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने आर्टिकल 370 के जरिए कश्मीरियों को जो आजादी दी थी, वह अगस्त 2019 में छीन ली.

उनका आरोप है- वहां (जम्मू और कश्मीर में) अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव हो रहा है. मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं, पर यह रुकना चाहिए. दुनिया में यह संदेश जाना चाहिए कि भारत बात के लिए तैयार है और हम तो तैयार बैठे हैं. हम शांति के लिए रजामंद हैं.

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