उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर एनडीए की ओर से अपने उम्मीदवार के तौर पर सीपी राधाकृष्ण का ऐलान किया जा चुका है. लेकिन विपक्ष की ओर से अब तक कैंडिडेट का ऐलान नहीं हुआ है. उम्मीद जताई जा रही है कि 19 अगस्त को इंडियन गठबंधन अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगा. इसको लेकर सोमवार शाम को ऑनलाइन बैठक भी आयोजित की गई. इसमें कई विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया और साझा उम्मीदवार के चयन को लेकर गहन विचार-विमर्श किया.
बैठक में यह बात तो साफ हो गई कि विपक्ष एकजुट होकर एक साझा उम्मीदवार उतारेगा, लेकिन नाम को लेकर सहमति नहीं बन पाई. वहीं एम अन्नादुराई को इस रेस में सबसे आगे माना जा रहा है. आइए जानते हैं आखिर कौन हैं एम अन्नादुराई और इससे विपक्ष को क्या फायदा होगा.
इस बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम पर हुई, वह है माइलस्वामी अन्नादुरई. इसरो के इस पूर्व वैज्ञानिक ने भारत के चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशनों में अहम भूमिका निभाई है. उन्हें भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.
दरअसल अन्नादुरई की पृष्ठभूमि तमिलनाडु से है. उनकी वैज्ञानिक पहचान उन्हें एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के मुकाबले एक सशक्त विकल्प बनाती है. वहीं दक्षिण बनान दक्षिण की लड़ाई में विपक्ष खुद को ज्यादा मजबूत बना सकता है. डीएमके के कुछ नेताओं ने विशेष रूप से उनके नाम का समर्थन किया, यह मानते हुए कि एक गैर-राजनीतिक और सम्मानित चेहरा बीजेपी की रणनीति को चुनौती दे सकता है.
एम अन्नादुराई के अलावा तिरुचि शिवा के नाम पर भी चर्चा हो रही है. डीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा का नाम भी चर्चा में है. शिवा एक अनुभवी और सम्मानित सांसद हैं, जिनका संसद में अच्छा प्रभाव रहा है. हालांकि उन्होंने खुद इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया है.
बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने सुझाव दिया कि विपक्ष को किसी ऐसे उम्मीदवार को आगे करना चाहिए जो गैर-राजनीतिक हो, ताकि सभी दलों के बीच एकता बनी रह सके और आम सहमति बनाना आसान हो. ऐसे में एम अन्नादुरई जैसे वैज्ञानिक का नाम ज्यादा प्रभावी नजर आता है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को विपक्षी दलों के बीच समन्वय और अंतिम उम्मीदवार तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वह ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव जैसे अन्य प्रमुख नेताओं से व्यक्तिगत बातचीत करेंगे. संभावना है कि मंगलवार को एक और बैठक के बाद विपक्ष अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकता है.
उपराष्ट्रपति पद को लेकर विपक्ष एकजुट दिख रहा है, लेकिन नाम तय करना अभी बाकी है. मुकाबला दक्षिण भारित के दो प्रभावशाली व्यक्तित्वों के बीच हो सकता है एक राजनीतिक, एक वैज्ञानिक. निर्णय अब कांग्रेस नेतृत्व के हाथ में है.