सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टेलीकॉम कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया (Vi) और टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें उनके एजीआर बकाया से संबंधित ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज माफ करने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाओं को “गलत तरीके से तैयार” करार दिया. यह फैसला गंभीर वित्तीय तनाव से जूझ रहे वोडाफोन आइडिया द्वारा अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए एजीआर से संबंधित देनदारियों में 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की छूट की मांग करने के ठीक एक दिन बाद आया. भारती एयरटेल ने भी इसी तरह की याचिका दायर करते हुए “न्यायसंगत आधार” पर राहत मांगी थी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर टेलीकॉम कंपनियों ने अपनी याचिका में क्या कहा और सुप्रीम कोर्ट ने किस तरह का आदेश दिया है.
अपनी याचिका में, भारती एयरटेल ने अपनी यूनिट भारती हेक्साकॉम के साथ मिलकर ब्याज और जुर्माने से संबंधित बकाया राशि में 34,745 करोड़ रुपए की छूट का अनुरोध किया, जिसमें दावा किया गया कि 1 सितंबर, 2020 से एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले ने पूरे टेलीकॉम सेक्टर में महत्वपूर्ण वित्तीय तनाव पैदा कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका इरादा अदालत के फैसले को चुनौती देना नहीं था, बल्कि जुर्माने और ब्याज के बोझ से राहत मांगना था.
संयुक्त याचिका में तर्क दिया गया कि सरकार द्वारा टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) के साथ असमान व्यवहार संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करेगा और इस क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता को कमजोर करेगा. इसमें 2020 के फैसले से प्रभावित सभी ऑपरेटरों के बीच समान अवसर की आवश्यकता पर जोर दिया गया.