चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल विमानों के इस्तेमाल के बाद उनकी वैश्विक बिक्री को प्रभावित करने की रणनीति अपनाई है। फ्रांसीसी खुफिया और सैन्य अधिकारीयों के हवाले से द एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने अपनी विदेशी राजनयिक मिशनों के जरिए राफेल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।
चीन के रक्षा अटैचेज़ ने उन देशों में संपर्क बढ़ाया, जिन्होंने पहले से ही राफेल विमान खरीदे थे (जैसे इंडोनेशिया), और संभावित खरीदारों को चीनी निर्मित लड़ाकू विमानों की ओर प्रेरित किया । साथ ही, एक व्यापक डिज़इनफ़ॉर्मेशन अभियान चलाया गया—जिसमें सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स, अत्याधुनिक तकनीक वाले नकली विडियोज, गेम-लाइके दृश्य, और AI-संवर्धित इमेजरी शामिल हैं।
फ्रांस की रक्षा मंत्रालय ने इसे “एक विशाल डिज़इनफ़ॉर्मेशन अभियान” और “रणनीतिक फ्रांसीसी पेशकश” को निशाना बनाने के रूप में वर्णित किया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का उद्देश्य राफेल की तकनीकी साख को नुकसान पहुँचा कर फ्रांस और पश्चिमी देशों के प्रभाव को Indo‑Pacific क्षेत्र में कम करना है।
चीन ने इन आरोपों को “बेजा, निराधार और मानहानिपूर्ण” बताते हुए खारिज कर दिया है ।