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मध्य पूर्व की जंग पर भारत की कूटनीतिक कसौटी: ईरान से पुराने रिश्ते बनाम इज़रायल से व्यापारिक साझेदारी, क्या होगा भारत का रुख?

मध्य पूर्व की जंग पर भारत की कूटनीतिक कसौटी: ईरान से पुराने रिश्ते बनाम इज़रायल से व्यापारिक साझेदारी, क्या होगा भारत का रुख?

मध्य पूर्व में ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। भारत, जो दोनों देशों के साथ अलग-अलग स्तरों पर मजबूत रिश्ते रखता है, अब एक कूटनीतिक संतुलन की चुनौती का सामना कर रहा है।

एक ओर ईरान से भारत के सांस्कृतिक, धार्मिक और ऊर्जा संबंध दशकों पुराने हैं। भारत, चाबहार पोर्ट और तेल आयात जैसे अहम प्रोजेक्ट्स में ईरान का रणनीतिक साझेदार रहा है। दूसरी ओर, इज़रायल से भारत के रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में गहरे कारोबारी रिश्ते हैं। ड्रोन, मिसाइल, साइबर सुरक्षा और कृषि टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में इज़रायल भारत का अहम सहयोगी बन चुका है।

इस तनावपूर्ण माहौल में भारत ने अब तक संयमित रुख अपनाया है और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी प्रकार की हिंसा या युद्ध के पक्ष में नहीं है, और वह क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के पक्ष में खड़ा है।

भारत की प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा, नागरिकों की सुरक्षा और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना है। ऐसे में उसकी कूटनीति अब बेहद सावधानी और संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है।

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