भारतीय व्यापार वार्ताकारों ने वाशिंगटन में अपनी वार्ता अवधि बढ़ा दी है, ताकि 9 जुलाई तक एक अन्तरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके और 26% तक की अमेरिकी जवाबी शुल्क वृद्धि को टाला जा सके। विशेष सचिव राजेश अग्रवाल द्वारा नेतृत्वित यह टीम मूल रूप से 26–27 जून तक ही अमेरिका में रहने वाली थी, लेकिन अब वार्ता जारी रहने की संभावना जताई जा रही है ।
मुख्य विवाद कृषि एवं डेयरी उत्पादों पर आधारित हैं, जहां भारत ने इन क्षेत्रों में “गम्भीर लाल रेखाओं” का बचाव किया है जबकि अमेरिका अनाज, डेयरी, सोया, मक्का, कृषि-उद्भिद आदि क्षेत्रों में भारतीय बाजार खोलने की मांग कर रहा है । भारत ने बदले में अल्मंड, पिस्ता, अखरोट तथा प्राकृतिक गैस आयात बढ़ाने जैसी रियायतें देने की पेशकश की है ।
भारत और अमेरिका दोनों ही 10% आधार शुल्क में कमी तथा संयुक्त व्यापार मूल्य $500 बिलियन तक पहुंचाने के दीर्घकालिक लक्ष्य पर सहमत हैं। फिलहाल यह समझौता एक प्रारंभिक कदम होगा, जिसे सितंबर‑अक्टूबर 2025 तक पूर्ण द्विपक्षीय समझौते में बदलने की उम्मीद है ।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने संकेत दिया है कि “भारत के साथ बहुत बड़ा व्यापार समझौता” संभव है।