नासा और ISRO की संयुक्त पहल – NASA‑ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) सैटेलाइट को आज, 30 जुलाई 2025, शाम 5:40 बजे IST पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSLV‑F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
यह मिशन लगभग $1.5 बिलियन (~12500 करोड़ रुपये) की लागत का है, जिसमें भारत का योगदान लगभग 788 करोड़ रुपये (~$96 मिलियन) रहा है, जबकि NASA ने बाकी लागत वहन की । NISAR दुनिया का पहला ऐसा अभियान है जिसमें ड्यूल‑फ्रीक्वेंसी (L‑Band + S‑Band) सिंथेटिक एपर्चर रडार लगाया गया है—NASA का L‑Band रडार और ISRO का S‑Band रडार जो मिलकर क्लाउड, रात, और मौसम से प्रभावित नहीं होकर पृथ्वी की सतह में सूक्ष्म परिवर्तन देख सकते हैं ।
सैटेलाइट का वजन लगभग 2,392 किलोग्राम है और यह सूर्य‑सिंक्रोनस ध्रुवीय कक्षा (Sun‑synchronous polar orbit) में स्थित होगा, जहां यह हर बार पृथ्वी की भूमि और बर्फ़ से शेल करूंगा और पूरे ग्रह का स्कैन हर 12 दिनों में दूबारा करेगा ।
गौरतलब है कि पिछली संध्या (29 जुलाई दोपहर 2:10 बजे या 2:40 बजे) से 27.5 घंटे की काउंटडाउन प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।
ISRO अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने इस मिशन को “जीवन विवरणी सैटेलाइट” कहते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया है, जो वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन, ग्लेशियर की गति, मिट्टी की नमी, ज़मीन भराव जैसी स्थितियों का मिलीमीटर‑स्तरीय डेटा प्रदान करेगा ।
उद्देश्य है कि यह मिशन कम से कम तीन वर्षों तक सक्रिय रहे और उसके पश्चात पांच वर्ष तक वैज्ञानिक डेटा संग्रहण जारी रहे—जिसमें प्रारंभिक 90‑दिन का commissioning‑phase शामिल है, जिसमें सिस्टम चेकिंग और कैलिब्रेशन किया जाएगा ।
एनिसर मिशन किसी भी मौसम या प्रकाश व्यवस्था में काम कर सकेगा—चाहे वर्षा हो, बादल हों या रात हो—जिससे प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान और पर्यावरण निगरानी और भी प्रभावी होगी ।