भारत में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई ने महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है, जिससे देश का ‘लाल गलियारा’ लगातार सिकुड़ता जा रहा है। कभी 180 से अधिक जिलों में फैला यह क्षेत्र अब केवल 18 जिलों तक सीमित रह गया है, जिनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं।
हाल ही में, छत्तीसगढ़ के बस्तर और कोंडागांव जिलों को गृह मंत्रालय की वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया गया है, जो कि नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
इस सफलता के पीछे ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ जैसी रणनीतिक कार्रवाइयों का बड़ा योगदान है, जिसके तहत 2025 में 232 माओवादी मारे गए और 718 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त बनाना है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियाँ अभी भी जारी हैं, लेकिन सरकार की ‘3C’ रणनीति—सड़क संपर्क, मोबाइल कनेक्टिविटी और वित्तीय समावेशन—के माध्यम से इन क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।